सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

क्यों हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी नहीं ?

क्यों हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी नहीं ?





साइकोलॉजिकल साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में व्यक्तिगत आदर्शो और तर्क के बीच संबंध की पड़ताल की गई है। कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के एलैक्स हूइन ने कहा, हमारे निष्कर्षो से पता चलता है कि वे लोग जो सच्चे मकसदों को महत्व देते हैं, खुद के लिए बुद्धिमानी से तर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं और व्यक्तिगत पक्षपातों से पार पा सकते हैं। अध्ययन में विश्वविद्यालय के 267 छात्रों को शामिल किया गया था। एक दूसरे ऑनलाइन अध्ययन में भी इसी तरह के नतीजे आए।
शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि हम अक्सर दूसरे लोगों की समस्याएं सुलझाने में तो सफल रहते हैं, लेकिन अपनी खुद की समस्याओं का हल नहीं कर पाते, चाहे वह समस्या प्यार संबंधी हो या कार्यस्थल के तनाव से जुड़ा। शोधकत्र्ताओं का कहना है कि जहां हम अपने दोस्तों की समस्याओं पर बुद्धिमानी के साथ और पूरी निष्पक्षता से ध्यान देते हैं, हम अपनी खुद की समस्याओं को व्यक्तिगत, दोषपूर्ण, भावनात्मक तरीके से देखते हैं।

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