राम रहीम की पेशी के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त रवैया करता दिख रहा है. पंचकूला की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा बयान देते हुए साफ कर दिया है अगर जरूरत पड़े तो बल प्रयोग किया जाए लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता न हो.
उच्च न्यायालय ने यह भी साफ किया है कि पेशी के दौरान या अगर कोई नेता दखल दे तो उस के खिलाफ FIR दर्ज हो और प्रशासन यह भी देखे कि कोई नेता पंचकूला न पहुंच पाए.
वहीं कोर्ट ने एक बार फिर सरकार को फटकारते लगाते हुए कहा है कि ओएसडी, डेरा प्रमुख और डेरा समर्थकों से मिले क्यों? कोर्ट ने यह भी कहा है कि आज की सुनवाई में थोड़ी सी भी देरी ना हो और सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
हाईकोर्ट ने कल रात यह भी निर्देश दिया था कि पंचकूला की सुरक्षा के लिए सेना तैनात किया जाए और इस आदेश के बाद आधी रात को पंचकूला में सेना की तैनाती हो सकी. इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार और प्रशासन से पूछा था कि इलाके में धारा 144 लगे होने के बाद भी कैसे एक लाख लोग पहुंच गए. कोर्ट ने इसी मामले में यह भी कहा था कि सुरक्षा में लापरवाही के लिए डीजीपी को क्यों न सस्पेंड कर दिया जाए.?
क्या है पूरा मामला?
बताते चलें कि डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी. शाह सतनाम महाराज इसके प्रमुख बने और उन्होंने 1990 में संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी. संत गुरमीत श्रीगंगानगर (राजस्थान) के गांव गुरुसरमोडिया के रहने वाले हैं.
अप्रैल 2002 में राम रहीम की अनुयायी एक साध्वी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक शिकायत भेजी थी. साध्वी ने शिकायत में राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था.
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